Friday 17 May 2013

लिखी है गज़ल शबनम-सी


लिखी है गज़ल शबनम-सी
लफ़्ज़ों की करामात है

दबा दिया है दर्द को कैसे-कैसे
ज़ख़्मों की खुराफात है

सरे बाज़ार सर हथेली लिए
आशिकों की पूरी बारात है

जुनून-ए-इश्क में ये दिल धड़के
ख़्वाहिशों की बरसात है

दानिस्ता चली आई हूँ तेरे दर पे
अब तू ही मेरी कायनात है 

Friday 10 May 2013

माँ---कुछ हाइकु


माँ
1
माँ तुम सीप
मैं हूँ सीप का मोती
तुझ सा दिखूँ
2
माँ की गोद है
दुखों की बारिश में
इक छाता-सी
3
माँ है सागर
अथाह प्यार-भरा
डूबी रहूँ मैं
4
माँ तुम बिम्ब
मैं तेरा प्रतिबिंब
दोनों एक-से
5
माँ अंधेरों में  
है बन उजियारा
राह दिखाती
6
कंटीली राहें
फूलों सा एहसास
देती है माँ
7
माँ बन गुरु
जिंदगी को पढ़ना
रोज़ सिखाती
8
माँ पाठशाला
बच्चे जहां सीखते
संस्कार भाषा
9
माँ ठंडी छाँव
दुनिया की धूप से
हमें बचाए
10
माँ तेरा प्यार
मौसम जैसा नहीं
सदाबहार
11
माँ है बिछौना
उसका प्यार ओढ़
ऊर्जा पा जाऊँ
12
माँ को चुराते
थोड़ा-थोड़ा करके
बच्चे उसके
13
माँ है डरती
न्यूक्लियर शब्द से
खोने का भय
-0-

Sunday 24 March 2013

होली के कुछ हाइकु और तांका


हाइकु
1
सब रसिया
खेले होली के रंग
प्रेम का मद
2
है इतराती
प्रेम-हृदय गाती
रंगीली होली
3
मंदिर घाट
होली में गुलज़ार
होली आई रे
4
नाचे मनवा
पहन के रँगीले
होली घुँघरू
5
मन-तर्पण
संग होली के रंग
संचित प्यार
6
रंगो की कली
महके हैं आँगन
सींचो प्यार से
7
रंगो में भीगा
रहे तन मन ये
प्रेम से भरा
8
गा रही फाग
रंग खिलखिलाए
होरी के संग

9
होरी की चक्की
पिसे रंगीले दाने
प्रेम में पगे
10
होली की धुन
फगुनिया बांसुरी
प्रेम सुरीला




तांका
1
हुई रंगीली
मन की रे पत्तियाँ
होली का वृक्ष
अब तो आओ कान्हा
मैं हुई राधा, मीरा  
2
भीगा मनवा
रहा सूखा तनवा
बाट निहारूँ
अब तो आओ कान्हा
राधा सुत हुई मैं

3
रंगो की बातें
सुनकर डोल गया
होली का मन
पुकारे राधा मीरा
कान्हा का धर रूप

Wednesday 20 March 2013

मेरी नजरों में कविता


कविता एक सहारा

कविता एक सहारा है
जब बेबसी बगावत करती है
और आँधी, अंधी गलियों से गुजरती है....

कविता एक सहारा है
जब सोच हवा में तिनके-सी उड़ती है
बिखर कर, फिर-फिर सिमट कर
शब्दों का चोला पहन लेती है....

कविता एक सहारा है
जब कोई खुशी आँखों से छलक़ती है
कोई नमकीन याद अहसास बन जाती है....

कविता एक सहारा है
कोई अनुभूति, सोच शब्दों में बंध जाती है
फिर उन शब्दों को कलम की नोक से
कागज़ पर चिपकाना मजबूरी हो जाती है....

कविता एक सहारा है
जब कल्पना के पंखों पर उड़ते परिंदे
स्मृति के शिलालेख बन जाते हैं....

कविता एक सहारा है
वह तो बस ओस में भीगते रहने की मौसमी मजबूरी
और जीने का तक़ाज़ा बन जाती है ......
-0-

Wednesday 13 March 2013

सपनों के फ़ाहे


सपनों के फ़ाहे

कल रात नींद मेरी
कुछ जख्मी हो गयी थी
चलूँ, आज रात सपनों के
कुछ फ़ाहे और पैबंद लगा दूँ

Tuesday 19 February 2013

कविता पाठ

विश्व हिन्दी संस्थान, कनाडा, द्वारा आयोजित "विश्व कवि-सम्मेलन 2012-काव्यमाधुरी" में मेरी एक कविता का पाठ कृष्णा वर्मा जी द्वारा किया गया.......यह मेरे लिए सम्मान की बात है.......इस लिंक पर देखिये......

https://www.youtube.com/watch?v=CG0jsZXfYJU

ग्लोबल मीडिया और हिंदी पत्रकारिता..... संपादक : डॉ हरीश अरोड़ा .....(इस पुस्तक में एक लेख हमारा भी शामिल है.....) —


Monday 18 February 2013

शब्दांकन ई पत्रिका Shabdankan E magazine's http://www.shabdankan.com/p/1-2.html डॉ. अनीता कपूर: कविताएँ, चोका और लघुकथा


Anita Kapoor shared शब्दांकन ई पत्रिका Shabdankan E magazine's photo.
9 hours ago
http://www.shabdankan.com/p/1-2.html
डॉ. अनीता कपूर: कविताएँ, चोका और लघुकथा